Tuesday, November 8, 2016

जीने के लिए शतरंज

मैं एक चेस कंपटीशन में गया था। वहां कम्पटीशन में 1500 से ज्यादा बच्चे आये थे। मैंने बच्चों से कहा कि जब आप लोगों का ये टूर्नामेंट खत्म होगा तो एक टॉपर होगा। एक रनर-अप होगा। बाकी क्या होंगे? एक ‘नंबर वन’की ट्रॉफी लेकर जाएगा। एक ‘नंबर टू’ की ट्रॉफी लेकर जाएगा। बाकी लोग क्या लेकर जाएंगे?हारकर जाएंगे? यहां हारने के लिए आए हैं क्या?फिर क्या फायदा हुआ आने का?

उनसे मैंने कहा, “यहां आने का मतलब है कि आप लोग चेस खेलना जानते हैं। चेस खेलने का मतलब क्या है? चेस का मतलब है कि हमारे पास जो कुछ हो, उसे सहेज कर रख सकें। एक-एक सिपाही की कीमत समझ सकें। सबसे बाजू में बैठे सिपाही की भी कीमत समझ सके। और सामने खड़े कोने में सिपाही की भी कीमत समझ सके। बहुत बुद्धिमानी से हर रिसोर्स को, हर संसाधन को बहुत बुद्धिमानी से यूज करें। एक- एक आदमी हमारे जिंदगी में जीतने लगे। एक-एक को बहुत अच्छे से इस्तेमाल करें। और जब पूरी फौज साथ न हो, मात्र एक सिपाही बचे, उसके बाद भी कैसे हिम्मत दिखाकर लड़ना है। यहां जितने आए हैं, बस उन्हें इतना ही समझना है- जिसे चेस खेलना आ गया, उसे जिंदगी जीना आ गया।“ यही चेस खेलने की वैल्यू है।

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